Wednesday 10 July 2013

बीते दिन की यादें


बीते दिन की यादें 

कही खो गए वो दिन जब 
ऊँगली पकडकर चलना ही सिखा था हमने 
गिरकर फिर उठते थे हम तब 
अपने थे साथ जब 
अब वो सब यादें सबकी आँखों में धुंधला गयी है 
हर जगह देखो सबकी आँखों में स्वार्थ की चमक आ गयी है
बच्चे थे तो अच्छा लगता था हमको 
ढेर सारा प्यार तब मिलता था हमको 
अब वो ही लोग आँखें चुराते है देखो
जो कभी गोद में उठाते थे हमको 
देकर चॉकलेट आइसक्रीम हमे खुश रखने की कोसिस किया करते थे 
गिरते थे कभी तो प्यार से उठा लिया करते थे 
आज कहाँ गयी उस रिश्ते की प्यारी सी मिठास
मुझे आज भी लगी है उस रिश्ते से वो आस 
पास आकर फिर से सर पर प्यार का हाथ रख दे 
देकर प्यार सब गिले शिकवे को भुला दे 
मैंने कभी दूरी नहीं बधाई किसी से 
तो फिर भला मुझे क्यों शिकायत होगी किसी से 
गलती तो हर इंसान से होती है ना 
तो क्यों उन गलतियों को नामुमकिन होता है भुला पाना 
निस्वार्थ प्रेम इस दुनिया से कहीं गुम हो गया है 
और हर इंसान इस दुनिया की झूठी चमक धमक में खो गया है 

By-नेहा शर्मा 

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