मन की बातें
कुछ बाते जब समझ से परे हो जाती है,
वो हमारी कविताओं में उतर आती है,
चंद अलफ़ाज़ बिखर जाते है इन पन्नों पर,
और मेरे मन को तसल्ली हो जाती है,
जब लगने है कुछ अधुरा है,
तब स्याही पेजों पर बिखर जाती है,
तब जाकर मेरे मन की भावना कविता के रूप में उभर आती है,
BY NEHA SHARMA
BY NEHA SHARMA
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