चाहत
उनकी चाह इतनी थी की हमे उनके पास ले आई
वो दूर थे मगर उनके पास होने का अहसास दिला लाई
वो समय के साथ कदम से कदम मिलाते रहे
और हम समय को उनके करीब लाते रहे
उनकी बातों में खुद को महसूस किया
और वो हमी से नज़रे चुराते रहे
एक दिन धुंध ही लिया हमने उनको दिल की गुमनाम गलियों में
और वो देखकर हमे मुस्कुराते रहे
चेहरे की हसी से दिल में छुपी हलचल जाहिर थी
और वो हमारी ख़ुशी में दुनिया को भी भुलाते रहे
by neha sharma
by neha sharma
really nice
ReplyDeletethank u
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