Tuesday 2 October 2012

चाहत

चाहत 

उनकी चाह इतनी थी की हमे उनके पास ले आई 
वो दूर थे मगर उनके पास होने का अहसास दिला लाई 
वो समय के साथ कदम से कदम मिलाते रहे
और हम समय को उनके करीब लाते रहे 
उनकी बातों में खुद को महसूस किया 
और वो हमी से नज़रे चुराते रहे 
एक दिन धुंध ही लिया हमने उनको दिल की गुमनाम गलियों में 
और वो देखकर हमे मुस्कुराते रहे 
चेहरे की हसी से दिल में छुपी हलचल जाहिर थी 
और वो हमारी ख़ुशी में दुनिया को भी भुलाते रहे

by neha sharma

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