Friday 29 June 2012

पंख


पंख 
आज उड़ने का मन है 
आसमान से आगे जाने का मन है 
कोई लगा दे पंख मुझको 
ऊँचाइयों  को छुने का मन है 
कदम डगमगा न जाए 
इस डर को दूर भगाने का मन है 
बस होसला हो मन में 
आज उड़ने का मन है 
तितली के जैसे घूमूं  हर डाल पर 
आज एक फूल पर बसेरा बनाने का मन है 
कुछ मंजिलें अधूरी हैं  मेरी 
आज उन मंजिलो तक पहुचने का मन है 
आज कोई रोके ना  मुझको 
आज उड़ने का मन है 
by- neha sharma


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