Sunday 9 June 2013

तेरा अक्स


तेरा अक्स 

कहती है वो अक्सर मुझसे क्यों दूर हो तुम मुझसे 
मै हंसकर कहा करता हूँ  कहाँ दूर हु मै  तुझसे 
मुझमे तेरा अक्स है ये जो मोहब्बत अपनी 
यादें जुडी है मेरी उनसे 
तू देखती है जब भी मुझको हँसकर  यूँ 
मैं और जुड़ जाता हूँ  तब तुझसे 
तेरा दुपट्टा जो हवा में लहराता है 
बांध गया हूँ मैं जैसे उससे 
तेरा बालो को कानो के पीछे ऊँगली से लगाना 
उलझ गया हूँ मई इन बालो में जैसे 
कैसे बताऊ तुझको की क्या है तू मेरे लिए 
मेरे हर सपने जुड़े है तुझसे 
तुझ बिन जिंदगी जैसे अधूरी है मेरी 
ये ज़िन्दगी जुड़ गयी है इस मोहब्बत में तुझसे 
By neha sharma



No comments:

Post a Comment