dedicated to lord raj shyamaji
श्री राज श्यामाजी
बेखबर अजनबी से थे हम आपसे,
क्या कहे किस कदर भटके थे हम राह से,
जब हाथ पकडकर सहारा मिला थोडा सा,
लगा की सब मिल गया हो हमे आज से,
बस अब कोई इच्छा नहीं तुम्हारे सिवा इस दिल में,
सारे दुःख जो दूर हो गए मेरे आपकी कृपा मिलके,
मानते है नादान है थोड़े अभी भी हम ,
पर भरोसा है आप पर फिर क्यों सोचे मिला है कम ,
तय करना है सफ़र लम्बा पर डर रहे थे तन्हाई से,
अब आप साथ हो डर नहीं लगता किसी भी परछाई से,
अब इस रूह को आपको पाने की आस है,
इन आँखों को आपके दर्शन की प्यास है,
कब आओगे प्रभु तुम हमे लेने ये तो बता दो,
अपने ठिकाने का हमे कुछ तो पता दो,
नैन बिछाये बैठे है राहो में कब से,
देखी है आपकी छवि इन आँखों ने जब से,
created by- neha sharma
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