क्यों वो
वो इतना क्यों सँवरती है
इतना कैसे निखरती है
लगता है की जैसे वो
परी सी मुझको लगती है
कुछ यु नज़रें झुकाती है
की आँखें बात करती है
मै जब भी करीब आता हु
वो ऐसे सिमट जाती है
क्यों मै उसमे डूब जाता हु
क्यों वो इतना शरमाती है
जैसे घटायें बादल में
बरसती और थम सी जाती है
क्यों वो फूलों सी यूँ नाज़ुक है
क्यों वो काजल लगाती है
की जैसे बिजलियाँ सैकड़ों
मुझ पर गिर जाती है
लहराती है जब वो आँचल को
क्यों दिल में कसक उठ जाती है
क्यों दिल पर मेरे काबू नहीं
क्यों हँसकर वो जाती है
क्यों इतने बहाने बनाती है
क्यों इस दिल को जलाती है
मिलेगी तो मै पूछुंगा की
क्यों सजा मुझको दे जाती है
By nehasharma
this is a poem which indicates a natural beauty of a girl who is in love <3 <3
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