Saturday 4 August 2012

सुहाना वक्त

                                          

                             सुहाना वक्त 

कुछ ओस जमी थी पत्तोंपर कुछ दिल में अरमान पनपे थे ,

एक पल वो भी था जब हम खोये खोये रहते थे
  
कुछ अच्छा नहीं लगता था बिन उनके 

कुछ सहमे सहमे रहते थे 

हर पल याद उनको करते थे 

उनके दिल में हम भी रहते थे  

कहते थे लोग पागल हमको 

और हम हंसकर उड़ा दिया करते थे 

पूछते थे वो वजह प्यार की 

और हम बिन बात के मुस्कुरा दिया करते थे 

कभी वो हमको छेडा करते थे 

कभी हम नाराज़गी दिखा दिया करते थे 

सोच में पड जाते थे कई बार 

लेकिन उनको मना लिया करते थे 

वक्त वो खूबसूरत था 

हम यादो की माला बना लिया करते थे 

by- neha sharma


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